Sunday 27 December 2015

अब मेरी बारी है ...!

अब मेरी बारी है ...!


         मै पहली बार गांव से शहर मे आया था मुझे मेरे बडे भाईसाहब शहर मे छोड कर गये थे, मेरा मन नही लगता था उस वक्त मेरी उम्र होगी मात्र तेरह साल मै नवी कक्षा मे पढता था, मै कक्षा मे चुपचाप ही रहता था, सभी लोग मुझे अकेला देख कर कुछ हंसी मजाक मे मेरा मन लगाने की कोशीश करते थे,लेकिन घर और माँ बचपन मे कुछ ज्यादा ही याद आते है, मन की बात कोई भी सुनने वाला नही था, 

        बापुजी ने बस मे बिठाते समय कहा था – बेटा समय अनुसार सब कुछ बदल जाता है, शहर मे तुझे दोस्त भी मिल जायेंगे और मन भी लग जायेगा, यदि कुछ पढ लिख लेगा तो तेरा जीवन सुधर जायेगा, जीवन सुधारने के लिये मन लगाने का प्रयास कर रहा था, इंटरवेल मे सभी बच्चे खेल रहे थे, लेकिन मै अकेला सिढीयो मे बैठा था तभी एक लडका मेरे पास आया और मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे कुछ दिलासा देने के हिसाब से बोला- क्या घर की याद आ रही है ?,

        मै उसकी बांते सुनकर शायद रोने ही लगता लेकिन बापुजी की कही हुई बात याद आ गई कि दोस्त अपने आप ही बन जायेंगे, मुझे ऐसा लग रहा था कि अब यह दोस्त आ गया है, और यही मेरा दोस्त बन जायेगा, उसने मुझे बहुत ही प्रेम से कई बाते समझाई और  मेरा हाथ पकड कर मुझे घुमाने ले गया,वह इसी  शहर मे रहता था, वह अपने परिवार के साथ ही रहता था,  इंटर्वेल के बाद कक्षा मे भी मेरे साथ ही बैठा, मेरा मन कुछ हल्का होने लगा था,

        अब रोजाना वह मेरे पास ही बैठता और पढता था, हम दोनो सारे सारे दिन साथ ही रहते थे, अब ऐसा लग रहा था कि कठिन समय बीत गया है, जीवनसबसे बडा दुख अकेला पन ही होता है,  मै अब पुरे आत्म विश्वास से भरने लगा था, दोस्त मुझे अपने घर भी ले जाता था,वह इसी शहर का रहने वाला था मै किराये पर मकान लेकर रहता था, समय बीतता जा रहा था, और हमारी दोस्ती प्रगाढ होती जा रही थी उसके घर वाले भी खुश थे कहते थे कि हमारा बच्चा तेरे साथ रह कर होशियार होता जा रहा है वास्तव मे वह पहले एक बार फैल हो गया था, वैसे मै ने ऐसा कुछ भी नही किया था बस मेरे साथ रह कर उसका तथा उसके साथ रहकर मेरा  मनोबल बढ गया था और वह होशियार होता जा रहा था, और मै निर्भय,  वह गरीब तो नही था लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नही थी, लेकिन था बडा स्वाभिमानी, मेरा बहुत ही अच्छा और सच्चा दोस्त था, और अभी भी है

         अब उसकी शादी भी हो गई है, दो बच्चे भी हो गये है, ये कोई विशेष बात नही है मेरी भी शादी हो गई है और मेरे भी दो बच्चे हो गये है, उसने बीएड करली और मैं ने बी ए एम एस कर लिया है, उसने बीएड किया तब वह बहुत ही आर्थिक कमजोरी से गुजर रहा था उस वक्त मै ने उसका बहुत ही मनोबल भी बढाया और उसकी आर्थिक स्थिती को भी मजबूत करने की कोशीश की थी लेकिन यदि मन मे कोई कमजोरी हो तो पढाई ढंग से नही हो पाती, और वह भी बस बीएड पास करके आ गया और कम नम्बर के बिना उसकी नौकरी नही लग पाई 

        अब वह एक प्राईवेट स्कूल मे पढाता है और बी पी, सुगर, हेवी वेट, और अनिद्रा का मरीज हो गया है, रोजाना मुठ्ठी भर कर दवा खाता है, जब भी फोन पर बात होती है बहुत ही खुस होता है और मुझे भी बडी खुसी होती है, मुझे उसके साथ बिताये बचपन के सभी दिन याद है लेकिन वह शायद भूल गया है,क्योकि उसकी यादास्त बहुत ही कमजोर हो गई है,

        उसने उस वक्त मेरी बहुत मदद की थी मुझे उसकी मदद करनी चाहिये अब मेरी बारी है...