Wednesday 14 January 2015

बल्ढु बना सरपंच

एक बार बल्ढुराम ने सरपंच बणबा की ली ठान,एक महिना पहल्या ही गुड बांट कर सरपंच लियो मान
दारू प्याणु शुरू करयो आठ दस की एक मंडली बनाई,कयाँसी आपाँ सरपंच बणा मन ही मन कई जुगत लगाई
बल्ढु सोच्यो प्रचार करुंगो और माहोल जोरको बनाउंगो,औरकोई खड्या होसी जिका न डरा के पाछो बिठाउंगो
कोई न धमकाउंगो,कोई न समझाउंगो,कोई न दारू पिलाउंगो, जो कतई ना मानेगो बीका पगा म पड जाउंगो
(2)बल्ढु के साथ वाला बल्ढु को प्रचार युँ करबा लाग्या,सरपंच तो बणसी या ना बणसी पण म्हारा भाग जाग्या
दारू म्हान रोज पिलाव गाडीयाँ मे घुमाव है,सरपंच चाहे ना बणेलो पण म्हान खुब खिलाव है
गुंडो है लफंगो है गयोबित्यो बेकार है, थप्पड देकर काम कराँ सकाँ हा यो आपणो अधिकार है
अ र गांव को टाबर है, गांव मे रहबालो छोरो है,अ ब क जिताज्यो बेचारो पंद्रह साल सूँ खड्यो होरयो है
कर्जा म डूब रियो है,हारया बर्बाद हो जावेलो,गांव को काम क र या ना क र ,खुद को घर तो बनावेलो
एक वोट का दान मे थारो  के बिगड जावेलो,गरीब घर को छोरो है,जिंदगी भर थारा गुण गावेलो
(3)एक ओडियो केसेट भी बल्ढु ने जैपुर सूँ भरवाई,बडो नेतो गांव मे आयो जणा बीच चोक म बजवाई
भाया न भाभी न स न ईयाँ कहणु है , वोट आपणो मिलकर बल्ढुराम  ही देणो है
(4) एक दिन बल्ढु भी भाषण की खूब झडी लगाई,ई गांव की खातिर मै अपनी जान की बाजी लगाई
कुआँ पर फर्जी बिजली लगार पानी की समस्या मिटाई,सेवा समीति बना कर बईमानी की हद पार कराई
बिजली की चोरी सिखाकर मै गांव को धन बचायो,बैंक सूँ लोन दिलार था न सरकारी पिसो खाबो सिखायो,
एक जणो बिदक र बोल्यो- अ र तेरे कन्न के सामान है , तु तो भाया लूट क खागो,तु तो जन्म जात बेईमान है
मै बेईमान था नही थे लोग ही मन्न बणा दिया,मै तो सीधा सादा हू मैने तो आप के घर का कचरा भी उठा दिया
रही बात सामान की मैने आगे-आगे दिखाया है,श्मशान घाट का हेंडपम्प मेरे घर के सामने लगवाया है
एक जणो बोल्यो-तु क्या उस हैंडपम्प से पानी पी रहा है,अरे भैया तूतो जिंदो की बस्ती मे मुर्दो की तरह जी रहा है
बल्ढु बोल्यो-छोडो ई बात नअब मै थाको हुकुम बजाउंगो,थेतो मन्न एकबार जिताद्यो,ईगांव ने आदर्शगांव बनाउंगो
(5)बल्ढु को विपक्षी नेतो भी रात्यूँ प्रचार करयो और करवायो, तीसरा नेता के खातिर ऐन टेम पर फार्म हटायो
बल्ढु को भाग खुल गो हनुमान जी कृपा भली करी,सारो गांव बल्ढु कानी होग्यो,बल्ढु की साग्योडी पार पडी,
कदे नही मंदिर मे जाबा लो चुनाव क दिन माथा मे सिंदूर म लगायो,
ढाणी सारी विपरीत थी ,पण गर्ज पर गधा न भी बाप बनायो
(6)चुनाव जीतने के बाद बल्ढु की नियत गोता खाने लगी,बल्ढु की किस्मत के साथ साथ्या की किस्मत भी जगी
बल्ढु बोल्यो-पण मन्न ज वोट ना दिया वा की अब खैर नही,एक जणो बोल्यो-भगवान के घर देर है अंधेर नही,
भाग्य सूँ जित्योडो हो ना कोई बल्ढु को उत्सव मनायो,धूमधाम सुँ दाम देकर खुद ही खुद को जुलूस निकलवायो,
पढ्या-लिख्या साथ्या सूँ,बढिया सो भाषण लिखवायो,बिना समझ्या ही बी भाषण न बल्ढु यूँ फरमायो
सुरज बदले चंदा बदले बदले चाहे जगत तमाम,यो बैईमानो को बाप ,ना बदलेगो बल्ढुराम
मेरा नाम की अब मोहर बनाओ और लगाओ,मेरा साथ्या न पावर देता हू चाहे आम चोक का भी पट्टा बनाओ,
बल्ढु की बाताँ सुनकर लोगाँ न हंसी आई भारी, मूसल के ध्वजा बांध दी,गांव की मति गई मारी,
बल्ढु का प्रचारी था ब मायँ-मायँ यू फुसफुसाया,बैरी जीतगो म्हे तो लोगाँ न बहुत भडकाया
बिल्ली का भाग को छिको टुटनो थो सो टुटगो,थे आज सुँ या समझल्यो,गांव को राम रूठगो,
(7)बल्ढु सरपंच बण्या पाछ ऊची उडान लगाई,प्रधान,विधायक और सांसद बणबा की योजना बनाई
हाथ उछाल-उछाल कर खूब भाषण देबा लाग्यो,इता मे ही बल्ढु को बापु बी का कमरा म आग्यो
बोल्यो-लाग है छोरा म ओपरी छाया आगी,छाया की बात सुनकर घरवाली आई भागी
उसने बल्ढु  को जोर से झिंझोडा और हिलाया,नींद मे सोते हुये को पानी डाल कर जगाया
बोली-अजी ये हाथ पांव नींद मे ही क्यो हिला रिया हो,ला ग है थे बारात को सपनो देखा कर नाच रिया हो
आंख्या खुली जणा मति ठिकाण आई, पल भर मे ही गुल होगी बल्ढु की सारी सरपंचाई

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