Thursday 5 March 2015

मेरा "अच्छा" नीला कोट.....

              मेरे पास एक नीला कोट है जिसे मै ब्लुजर कहता हुँ कोलेज के समय वह एक फैशन हुआ करता था बहुत ही कम लोगो के पास हुआ करता था मेरे पास था,मेरे कई दोस्त शादी विवाह के लिये या किसी समारोह मे भाग लेने के लिये उसे मांग का के ले जाते थे मै भी उसे शान से दे देता था लेकिन आजकल वह कोट मेरे किसी काम का नही है क्योकि तौंद ने बेडा गर्क कर दिया है, जब से तौंद आई है तब से वह आउट आफ डेट हो गया है मैने उसे फिट करने के लिये मेहनत भी खूब की लेकिन सफलता हाथ नही लगी,अब उसे रख दिया है
              लेकिन जब से मोदी जी का कोट करोडो मे बिका है तब से श्रीमती जी को पता नही क्या सुझा है कहती फिरती है कोट की निलामी करनी है मैने उसे खूब समझाया कि ये कोई सोने के तारो का कोट नही है ये सामान्य सा धागो का बना हुआ मामुली सा कोट है इसे बैच भी नही सकते इसे तो सिर्फ हम किसी गरीब भिखारी को सप्रेम भेंट दे सकते है वो भी यदि सप्रेम लेले तो,वरना ये तो फैंकने लायक हो गया है लेकिन वह तो मानती ही नही है कहती है आप इसे थोडा अच्छा अच्छा कहा करे फिर देखो इसके दाम लग जायेंगे, मैं ने पुछा ये अच्छा कहने से क्या होगा ? वह बोली- आप को इतना भी नही मालुम ये अच्छा शब्द तो बडा जादुई है , मैने पुछा-वो कैसे ? वह झल्ला उठी-बस आप तो रोजाना युँ ही अखबार चांटते रहते है कुछ भी सीखते नही हो, मै ने भी कुछ झल्ला के ही पुछा- अखबार मे ऐसा क्या आता है जो मेरे चांटने मे नही आता, वह कुछ समझाने वाली स्टाईल से बोली देखो - ये अच्छा शब्द है ना, ये बडे बडे जादू कर रहा है ये बात मैने अखबार मे ही पढी है, मैने कहा - मेरी तो कुछ समझ मे नही आ रहा, वह फिर बोली- देखो पहले तो मोदी जी ने "अच्छे दिन आने वाले है ..अच्छेदिन आने वाले है" कह कर जीत हाशिल करली और वो जीते तब तो उन्हे इतना महंगा कोट मिला और फिर करोडो रुपये मे निलाम हुआ है ये सब अच्छे शब्द का ही तो  कमाल है, मै उसे देख रहा था और वह देखो-देखो बोलती हुई कहती जा रही थी-" और देखो पीके फिल्म मे आमिर खान ने चार बार अच्छा अच्छा बोला और फिल्म ने चार सौ करोड का बिजनेस कर लिया, और देखो अरविंद केजरीवाल ने बार बार अपने आप को अच्छा कहा कि " मै अच्छा आदमी हुँ और सीएम बन गया, आप तो बस रोजाना कोई भी मिले उसे एक ही बात कहा करो कि मेरे पास  एक बहुत अच्छा कोट है मेरे लिये तो वह भाग्यशाली है मेरे पास जो भी कुछ है सब इस कोट की वजह से ही है
                 मैने उसे पुछा- भाग्यवान तु इस कोट के पिछे क्यो पडी हो कुछ समझाओगी , वह बोली - इस कोट को बेच कर कुछ तो हासिल होगा,जोभी हाशिल होगा उससे हम गंगा की सफाई तो नही करवा सकते लेकिन हमारी इस नाली की सफाई तो करवा ही सकते है आप तो इसे अच्छा अच्छा कहना शुरू करे,मैं ने कोट को अच्छा अच्छा कहना शुरू कर दिया लोग तो बडे अंध विश्वासी है बस पुछने लगे कहा से लाया है हमे भी चाहिये फिर क्या था हमने भी बोली का प्रोग्राम रख दिया और उस कोट की निलामी शुरू हुई क्या बात करते हो दुनिया इतनी बावली(पागल) है मुझे तब पता चला जब कोट की बोली लगने लगी और कोट की कीमत बढती ही गई ,कुछ लोगो की आपस मे होड लग गई कि कोट तो मुझे ही लेना है उनकी आपस की होड ने कोट को तो ऐसे बिका  दिया जैसा मैने तो सोचा भी नही था अब मुझे लगा शायद मोदी जी ने भी नही सोचा होगा कि द्स लाख का कोट इतने करोड दे जायेगा उसी तरह मुझे नही मालूम था कि ये मामुली सा नीला कोट बोली लगाने पर हजारो दे जायेगा लेकिन जनाब वह कोट आखिर बिक गया ,
                 घर मे अब शांति थी क्योकि अब धर्मपत्नी खुश थी मैने उससे कहा कि - नाली की सफाई कब शुरू करवानी है, धर्मपत्नी बोली - काहे की सफाई , आप तो इतना भी नही समझते कि मैने कोट बैच कर घर की सफाई करदी , मैने पुछा -फिर मोदी जी के कोट से गंगा जी की सफाई का उदाहरण क्यो दे रही थी,वह बडे ही शांति से बोली - मोदी जी ने कोई गंगा की सफाई के लिये कोट नही बैचा है ,मैने पुछा - फिर क्यो बैचा है , वह बोली- मोदीजी ने अपनी बदनामी करने वालो का मुँह बंद करने के लिये ये ड्रामा रचा था आप भी......इतना भी नही समझते.... इतना कहकर वह पल्लु फटकारते हुये किचन मे चली गई. मेरे मुँह से तो बस इतना ही निकला - अच्छा !!!!!!
               

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