तुझे पाने की खातिर मैंने दिन बहुत गुजार दिये ।
रात भर जग कर आसुओ के दीये जला दिए ।
हम रट लगाये है कि तुम मिलने कभी आओ ,
आप आने ही वाले थे , लेकिन मैंने दिये बुझा दिए ।।
दीदार में मैंने , बहुत आँखों को बचाया है ,
कलियों को खिलने से, मैंने रोज मनाया है।
लेकिन हर बार ये हो नही, इसके खातिर मैंने,
तेरे दर पर आकर आज , ये सजदा सजाया है।।
मोहब्बत है श्याम तुझसे , मिलने की तलब बढ़ती जा रही है
आंखे तेरे दर्शन को तरस गई, लगता हैं अब पथरा रही है ।
तू दे दे दर्शन इस बार तेरे दरवाजे पर सिर टीका रखा है ,
वरना तेरे आने का क्या ? अब मेरी तो जान जा रही है ।।
हर शख्स चाहता है तेरा रूप निहारना, तू ऐसा ही है ,
हर शक्श चाहता है तुझे पाना , तू ऐसा ही है ।
हर शख्स को तू मिलता नही , ऐसा क्यों है सावरे,
जिस शख्स को तू मिलता है, लगता है मुझमें वैसा नही हैं ।।
"मैं" हुँ इसलिए तू नही है , क्या यही एक वजह है ,
हर दिल मे तू समाया है , इतनी मुझमे में भी समझ है ।
जब दिल में *मैं* ना रहा तो दिल मे श्याम आ जाएंगे ,
श्याम आ गए तो फिर दिल मे मैं मैं को कहा जगह है ।।
मैं हुँ तो श्याम कैसें आ पाएंगे मेरे इस दिल के दरबार मे,
मैं को कैसे हटाऊँ मेरे इस शानो खूबसूरत बहार में ।
मैं को हटा *वेद* अब तेरे इस झूंठे देह संसार से
अब दिल लगा केवल खाटू के सावले सरकार में .।।