हमारे एक परम मित्र है बल्ढूराम, एक नम्बर के घोर विरोधी , किसका विरोध करना है
और किसका नही करना ये उन्हे नही मालूम लेकिन विरोध करना है बस, जो भी थोडा सा चर्चा मे हो जाये बस विरोध
शुरु,चाहे जोधा अकबर सिरियल हो चाहे जय बजरंग बली
दोनो का उन्होने विरोध दर्ज करवाया है दोनो मे गलत कहानी दिखाई जा रही है वह महाशय
घर मे अपने माता पिता का विरोध करने से भी नही चुकते,
आज कल तो बडे ही विरोधी स्वर निकल रहे है उनके, एक फिल्म आई है पी के, जब इस फिल्म का पोस्टर आया था
तब भी इन्होने घोर विरोध प्रगट किया था लेकिन इनका प्रचार तो हुआ नही उल्टा फिल्म का
ही प्रचार हो गया अब फिल्म आ गई है इसलिये इसका विरोध करना है
मुझे सुबह सुबह ही मिल गये निवृत होकर आये थे मैंने
टोक दिया – “भाई ! ये सब क्या है ? आप बाहर शौच के लिये
जाते हो मोदी जी तो “सब को शौचालय” की बात करते है और आप है कि ......” मै और कुछ कहता
इससे पहले ही बल्ढू जी बोल पडे – “यार आप भी क्या पुरानी बात लेके बैठे हो कोई ताजा
बात करनी चाहिये”, मैने पुछा – “ये पुरानी कहा से हो गई और ताजा
क्या है” , बल्ढू बोला – “मोदी जी को ये शौचालय वाली बात कहे
दो तीन महिने हो गये और ताजा ताजा बात तो ये हिंदुओ की खिल्ली उडाने वाली फिल्म पी
के है” बल्ढू थोडा क्रोध मे आ गया फिर से बोला – ये जो पी के है ना, इसका मतलब जानते हो क्या है ? मैंने कहा – नही भाई , “ इसका मतलब होता है पाकिस्तान “ मैने पुछा- “वो कैसे ?” वह बोला – “जैसे आर जे का राजस्थान, जी जे का गुजरात
डी एच का दिल्ली वैसे ही पी के का पाकिस्तान” मैने उसको समझाया – “पी के का मतलब पियक्कड
से है, इसका गलत अर्थ मत निकालो यार ये तो दंगा फसाद करवाने वाली
बात है”, वह चिल्ला पडा – “हो जाने दो दंगा इससे क्या होता है
हम क्या हमारे भगवान का मजाक उडाने की इजाजत ऐसे ही दे देंगे , नही देंगे,हम इस फिल्म को बंद करवा कर ही रहेंगे”, मैने फिर से पुछा – “इस फिल्म मे ऐसा क्या दिख गया,
जो तुम इसकी एक देश से तुलना करने लग गये” ,वह बिफर पडा – “क्या
हमारे देश के नेता जी युँ ही किसी पे इल्जाम लगायेंगे कि इस फिल्म मे अरब देशो तथा
पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था का पैसा लगा है,और फिल्म को देखो
तो पता लगे इसमे पुरा उसी देश का विवरण लिखा गया है, एक नंगा
पंगा पान चबाता आदमी किसका प्रतीक है बताओ, ये पुरे उसी देश का
प्रतीक है,” मुझे थोडी हंसी आ गई, बल्ढू
गुस्से से बोला- “ये हंसने की बात नही है, आगे देखो वह राजस्थान
से हमारे देश मे प्रवेश करता है उस देश के लोग भी इधर से ही घुसपैठ करते है , और भोजपुरी बोलता है वे लोग भी अपना अड्डा यु पी को ही बनाते है और दिल्ली
मे रहता है” , बल्ढू फिर मुझसे पुछता है- “कौशिक जी ! आप बताओ
लगभग फिल्मे मुम्बई की पृष्टभूमी पर ही बनती है ये दिल्ली पर क्यो ?,
मैने उसे
समझाते हुये कहा – “ये महज इत्फाक है ये कोई कारण नही है”
मैने बल्ढू को फिर से समझाने की कोशीश की – “और
सुनो इस फिल्म की कहानी एक बहुत ही सुलझे हुये लेखक श्री अमिताब जोशी ने लिखी है और
वो इसी देश के हिंदु है वो अंटशंट बाते क्यो लिखेंगे”, बल्ढू थोडा नरम पडा फिर बोला – “वो तो ठीक है लेकिन इसमे हिंदु धर्म की ही
खिल्ली उडाई है हमारे बाबा , हमारे मंदिर, हमारे भगवान सब हमारे ही उनका कोई भी नही”, समझाते हुये
मैंने कहा – “भाई ऐसा कुछ भी नही इस फिल्म मे सभी धर्मो की बात कही गई है किसी का धर्मांतरण
वाला मुद्धा उठाया है , किसी का महिला शिक्षा का मुद्धा बताया
है,” बल्ढू बीच मे ही बोल पडा – “लेकिन उनका मस्जिद तो सिर्फ
बाहर से ही बताया है हमारा मंदिर मुर्ति सब का मजाक उडाया है हम तो इस बात का विरोध
करेंगे”,अब मुझे थोडा गुस्सा आ गया थोडी ऊची आवाज मे मै बोलने
लगा – “मजाक भगवान का नही सिर्फ पाखंड का उडाया है कुछ समझ मे आ रहा है तुझे”, मुझे क्रोध मे देख कर बल्ढू चुपचाप सुनता रहा मै उसे सुनाने लगा- “दयानंद
सरस्वती जी ने भी पाखंडी एवम ढोंगी लोगो के लिये एक पताका फहराई थी “ पाखंड खंडन” ये
समझ ये पी के भी उसी पाखंड खंडन का ही रूप है जा अपनी सोच बदल ...” मै और कुछ बोलता
इतने मे ही मोहल्ले के कुछ बच्चे चिल्ला चिल्ला कर बोलने लगे ... और शौचालय बनवा
.... सोच बदल .... और शौचालय बनवा…….. इति.
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