Friday 4 September 2015

झूठ बोलना जरूरी है ?

झूठ बोलना जरूरी है ?


          बचपन से एक बात सुनते आये है कि सत्य बोलो,सच्चे का बोलबाला झुठे का मुँह काला, हमारे संस्कारो मे यह बात कुट कुटकर भरी गई है कि हमेशा सत्य ही बोलना चाहिये, भारत देश मे तो कहानिया भी सत्यवादी हरिश्चंद्र की सुनते सुनाते आये है, महात्मा गांधी ने भी सत्य पर बहुत ही प्रयोग किये है, फिल्म वालो ने भी गांधी के सत्य पर आधारित फिल्म भी बनाई है, मेरा मतलब कि चारो तरफ अभी भी सत्त्य का बोलबाला है, कोर्ट परिसर मे भी लिखा होता है “सत्यमेव जयते" 

          लेकिन यह सब क्या वास्तव मे होता है,आज कल सत्य बोलना एक अपराध हो गया है,मैं ने लोगो को झुठ बोलते, झुठ जीते, झुठी शान के लिये मरते मारते देखा है कल की ही बात है, मै ने एक राजनीति ग्रुप पर यह बात कह दी कि “आज कल नेता लोग एक भयंकर राजनीति कर रहे है कि पहले लोगो को डराते है फिर कुछ आशाये दिखाते है ,फिर बहलाते है फुसलाते है फिर उल्लू बनाकर लूटते है वोट या फिर .... चंदा” लोगो का ऐसे रियेक्शन आया जैसे मै ने उनके किसी खास अंग पर जलती छड रख दी हो, यह सत्य है लेकिन सत्य को फैशन के तौर पर यदि काम मे लेते है तो सही है यदि सत्य को जीवन मे कहने लगे तो आपको नुकशान हो सकता है, संस्कृत मे एक श्लोक है “ सत्यम ब्रुयात, प्रियम ब्रुयात, न ब्रुयात सत्यम अप्रियम” मै ने इस नियम की अवहेलना कर दी, आज के जमाने मे चाहे न्यायालय के आदेश की अवहेलना भले ही कर दो लेकिन यदि सामाजिक नियमो को तोडोगे या अवहेलना करोगे तो फिर देखलो क्या होने वाला है, मेरा नाम ग्रुप मे से वे लोग हटाते उससे पहले ही मै ने ग्रुप छोडने मे ही भलाई समझी,यह एक मामूली सी बात है लेकिन ऐसी हजारो बाते है जिससे यह लगता है की झुठ बोलना जरूरी है, राजनैतिक पार्टियो मे तो बहुत लोग है जो सत्य बोलने के चक्कर मे घनचक्कर बने घूम रहे है बेचारे गांधीजी की पार्टी का  तो सबसे बुरा हाल है वहा तो झुठ बोलना बहुत ही  जरूरी है,

          मेरे एक मित्र है “बल्डु” , जब उसको यह बात पता चली की डा.कौशिक के साथ किसी ने चुँ चपट करली तो चला आया मिलने, मै ने सोचा कोई सांत्वना देगा,कि कोई बात नही तु हमेशा सत्य ही बोलना यह अच्छी बात है सत्य की हमेशा विजय होती है,लेकिन उसने ठीक इसके उल्टे मुझे डाटना शुरू कर दिया कि क्यो सत्यवादी बना फिरता है तु जानता भी है कि सत्य क्या है , वह कुछ आध्यात्मिक होकर बोलने लगा-“ सत्य की खोज मे हजारो साल से संत महात्मा भटक रहे है अभी तक उन्हे मालूम नही चला कि सत्य क्या है और एक तु है कि चला है सत्य की पताका फैराने के लिये मै कुछ बोलता उससे पहले उसने अपनी ज्ञान पिटारी खोल दी और बोलने लगा – आज कल झुठ बोलना जरूरी है ,तुझे मालूम नही है मेरा एक्सीडेंट हो गया था पूलिस केस हो गया था और चालान पेश होने के बाद हम वकील से मिलने गये थे और एक वकील जो तेरे जैसे टुटी-फुटी सत्य झाडता है उसने कहा था कि इस क्लेम को पास कराने मे छ से बारह साल लगेंगे और हमने वह वकील ना करके जिसने साफ साफ झुठ कहा था कि महिने भर मे आप लोगो का क्लेम पास करवा दुंगा और हमने उसे वकालत नामा भर कर दे दिया था, 
           मुझे कुछ याद आ रहा था कि वह क्लेम दस साल बीत जाने के बाद अभी तक भी पास नही हुया है,मै ने सहमति मे सिर हिलाया, बल्डू फिर बोलने लगा – अभी साल भर भी नही हुआ मकान बनाये कारीगर ने तीन चार लाख का एस्टिमेट बताया था और कहा था कि काम शुरू करदो लेकिन कितना लगा? पुरे सात तो लग गये है और काम तो अभी बाकी है, तेरे को कुछ याद नही रहता तु खुद कई मरीजो को सही सही कह देता है कि इस बिमारी को ठीक होने मे दो तीन साल लगेंगे तो क्या रोगी तेरे से इलाज लेता है तुझे भी झुठ बोलना ही पडता है कि देखो रोग तो थोडा गम्भीर है दस पंद्रह दिन मे आराम आ जायेगा फिर इलाज चलता रहता है, चलता रहता है कई बार तो मरीज ही निकल लेता है बेचारा, लेकिन इलाज खत्म नही होता, 
          मेरे दोस्त ! आजकल सत्य बोलना सिर्फ दिखावा है वास्तव मे तो झुठ का ही बोलबाला है सत्य का मुह काला है , कही भी चले जाओ, घर से लेकर ओफिस तक, गांव से लेकर शहर तक, पंचायत से लेकर पी एम ओ तक, आकाशवाणी से लेकर दुरदर्शन तक, सब जगह झुठ का ही परचम फैला हुआ है,लोग तो मंदिर मस्जिद जहा  जगह मिले वही पर  झुठ बोल देते है आज कल नेतालोग धार्मिक लोग, सामाजिक लोग, जिसको देखो वह झुठ बोलने मे लगा है 
          मेरे मित्र ! आज कल लोग झुठ  फेंक फेंक कर देश के राजा तक बन जाते है, अरे भाई लोग सत्य की खोज मे लगे है, तु भी उसे ढुंढ यदि मिल जाये तो मुझे भी बतानालेकिन लोगो से पंगा मत लिया कर, इतना कह कर बल्डू ने विराम लिया, कुछ देर और कई बाते समझा कर चला गया,
          मै सोचने पर मजबूर हो गया कि सत्य बोलना क्या वाकई गलत है मेरा दिमाग भी इस चिंतन मे लग गया कि सत्य क्या है किसी को भी मालूम नही है,सत्य क्या समय के अनुसार बदल जाता है ? क्या सत्य बोलना मजबूरी हो गई है ? क्या लोगो ने सत्य पर भरोसा करना छोड दिया है ?  जहाँ तक मेरा मानना है समय सत्य है जो आत्मा को मालूम है झुठ बोलने वाला भी जानता है कि वह झुठ बोल रहा है लेकिन फिर भी झुठ बोलना तो बहुत ही जरूरी है और मजबूरी भी.., क्या सच्ची  मे झुठ बोलना जरूरी है ???        


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